माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश
यह फिल्म भारत में स्वच्छता की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकारी अभियानों के समर्थन में एक व्यंग्यपूर्ण कॉमेडी ...
उत्तर प्रदेश की राजनीति की पृष्ठभूमि में अपनी जगह बना चुके, बलदेव प्रताप सिंह (संजय दत्त), मलिहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चार बार...
रेड, 2018 की भारतीय हिंदी भाषी एक्शन क्राईम फिल्म है, जो 1980 के दशक में एक साहसी और...
मॉम, 2017 की हिंदी भाषी क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जो रवि उदयवार द्वारा निर्देशित है तथा गिरीश...
सोनू के टीटू की स्वीटी, 2018 में निर्मित भारतीय हिंदी भाषी कॉमेडी फिल्म है, जो लव रंजन द्वारा निर्देशित...
गौरव सोलंकी द्वारा सह-लिखित, अनुभव सिन्हा द्वारा लिखित, निर्मित एवं निर्देशित तथा ज़ी स्टूडियोज़ द्वारा निर्मित ...
बरेली की बर्फी, 2017 की भारतीय रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जो निकोलस बरारू के उपन्यास,...
मुल्क, अनुभव सिन्हा द्वारा 2018 में निर्देशित एक भारतीय हिंदी भाषा की ड्रामा फिल्म है। वाराणसी और...
चीट इंडिया 2019 में सौमिक सेन द्वारा निर्देशित भारतीय हिंदी भाषी अपराध ड्रामा फिल्म है। इसमें इमरान...
मुक्काबाज़, द ब्रॉलर के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज़ हुई, 2017 की एक भारतीय खेल ड्रामा फिल्म...
एक अद्वितीय सामाजिक उद्यम के माध्यम से अपने गांव में साक्षरता लाने के लिए...
राजू, भैयाजी गिरोह का स्टार पहलवान है और सुलेमान कुरैशी गिरोह के साथ लड़ाई में...
फिल्म सिटी के ताज नगरी आगरा , भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और नोएडा में प्रस्तावित लॉजिस्टिक हब के निकट होने के कारण, परिवहन और आवाजाही की सुविधाओं के संबंध में किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। राज्य की अपनी फिल्म नीति है। सभी औद्योगिक नीतियां भी लागू होंगी तथा राज्य में निवेश की सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा। फिल्म बिरादरी के प्रस्तावों और सुझावों पर विचार किया जाएगा।
प्रस्ताव का स्वागत करते हुए, मेरा सुझाव है कि फिल्म सिटी में पटकथा लेखकों को प्रशिक्षित करने की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि इससे क्षेत्रीय फिल्म उद्योग का कायाकल्प होगा।
मुंबई की तर्ज पर हम एक पूरी फिल्म सिटी बना सकते हैं। मुंबई फिल्म उद्योग में लगभग 80 प्रतिशत तकनीशियन और कार्यबल यूपी से हैं और यूपी में ही उद्योग के होने से यहाँ पर जनशक्ति की उपलब्धता से संबंधित समस्या नहीं होगी।
फिल्म सिटी न केवल इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार पैदा करेगी बल्कि यूपी के पर्यटन उद्योग में एक नया आयाम जोड़ेगी ।
इस मुलाकात में मुझे केवी विजयेंद्र प्रसाद से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो खुद एक प्रबुद्ध लेखक हैं और एसएस राजामौली के पिता हैं | सीएम के साथ यह एक बेहतरीन चर्चा थी जहां हम सभी ने यूपी में आगामी फिल्म सिटी प्रोजेक्ट के लिए अपने विचार साझा किए। मुझे लगता है कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि इस तरह की विश्व स्तरीय सुविधा की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए लॉकडाउन के बाद पहली बार यात्रा करके मुझे खुशी हुई।
हमारे पास अभी भी भारत में एक अच्छा एनिमेशन स्टूडियो नहीं है। हम इस मामले में हॉलीवुड से पीछे हैं, जिसका भारत में फिल्मों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। अगर यूपी-फिल्म सिटी में भी ऐसा हो सकता है, तो यह बहुत अच्छा होगा।
यह मनोरंजन उद्योग और विशेष रूप से फिल्म और टेलीविजन उद्योग के लिए एक बड़ा नैतिक प्रोत्साहन है। IFTDA और फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) की ओर से, मैं योगीजी को धन्यवाद देता हूं | यह उद्योग, अपने विभिन्न संगठनों, तकनीशियनों, निर्माताओं और अन्य सभी के साथ समर्थन देने के लिए उनके साथ खड़ा रहेगा ।
हैदराबाद और मुंबई में फिल्म सिटी है लेकिन अभी तक उत्तर भारत में कुछ भी नहीं था। फिल्म शॉट्स के लिए यूपी एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है, इसे देखते हुए यहां इसकी बहुत जरूरत है। यह सिर्फ उत्तर भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लोगों के यहाँ आ कर शूटिंग करने के लिए होगा।
यह उत्तर भारत में इस उद्योग के लिए एक अच्छी शुरुआत है। मुझे हमेशा लगता था कि यहां एक हिंदी भाषी इंडस्ट्री होनी चाहिए थी | हमने चर्चा की कि इस फिल्म सिटी में ऐसा क्या होना चाहिए जो अन्य फिल्म सिटी में उपलब्ध नहीं है। ऐसे लोग जो लोग मुंबई (शहर की फिल्म सिटी) का खर्च नहीं उठा सकते, उनका ध्यान यह फ़िल्म सिटी रख सकेगी |
भले ही फिल्म सिटी यूपी में होगी, लेकिन पूरे देश को इसे अपना समझना चाहिए। यह ताजमहल जैसा होना चाहिए, जो दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यूपी में फिल्म सिटी का बनना एक गतिशील कदम है, जो समय की मांग भी थी। अधिकांश राज्यों के अपने फिल्म उद्योग हैं, जबकि केवल यूपी में इसकी कमी थी। अब, युवा और अन्य प्रतिभाओं को राज्य में ही विकसित किया जा सकता है, जो अन्यथा मुंबई में खो जाता। राज्य से अब बहुत कहानियां सुनाई जा सकती हैं। मैंने यह भी सुझाव दिया कि हमारा अपना एक फिल्म उद्योग हो, जिससे कि इच्छुक प्रतिभाएं यहां पढ़ सकें और उन्हें अन्य विश्वविद्यालयों में जाने की आवश्यकता न पड़े |
मुंबई में अभिनेताओं से लेकर लेखकों, निर्देशकों और तकनीशियनों तक, यूपी के बहुत सारे लोग हैं। कई लोग घर से दूर रहते हैं और रोजी-रोटी कमाने के लिए मुंबई आते हैं। अब उन्हें अपने गृह राज्य में वही अवसर मिलेंगे। इससे राज्य को अच्छा राजस्व भी मिलेगा।
यदि यूपी में फिल्म संस्थान और संगीत अकादमी भी बनाई जाए तो स्थानीय लोकाचार और सांस्कृतिक मोज़ेक को और बढ़ावा मिलेगा।
शासनादेश संख्या-04 /2023 / 36 / उन्नीस--2-2023-22 / 2043 दिनांक 09.03.2023 द्वारा संशोधित उत्तर प्रदेश फिल्म नीति-2023 निर्गत की गयी। अतः उत्तर प्रदेश फिल्म नीति-2023 के अनुसार अनुदान से सम्बन्धित आवेदन पत्र में संशोधन हेतु अग्रिम आदेशों तक आवेदन पत्रों पर रोक लगायी जाती है।